पाठ ९ कबीर की साखिंयाँ
9 कबीर की साखियाँ
प्रश्न-अभ्यास
Question
1:
‘तलवार
का महत्त्व होता है, म्यान
का नहीं’ – उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
Solution:
‘तलवार
का महत्व होता है, म्यान
का नहीं’ से कबीर यह कहना चाहता है कि असली चीज़ की कद्र की जानी चाहिए। दिखावटी
वस्तु का कोई महत्त्व नहीं होता। इसी प्रकार किसी व्यक्ति की पहचान अथवा उसका मोल
उसकी काबलियत के अनुसार तय होता है न कि कुल, जाति, धर्म आदि से। उसी प्रकार ईश्वर का भी वास्तविक ज्ञान जरुरी
है। ढोंग-आडंबर तो म्यान के समान निरर्थक है। असली बह्रम को पहचानो और उसी को
स्वीकारो।
Question
2:
पाठ की
तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति हैं ‘मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहिं’ के
द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?
Solution:
कबीरदास
जी इस पंक्ति के द्वारा यह कहना चाहते हैं कि भगवान का स्मरण एकाग्रचित होकर करना
चाहिए। इस साखी के द्वारा कबीर केवल माला फेरकर ईश्वर की उपासना करने को ढोंग
बताते हैं।
Question 3:
कबीर
घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
Solution:
घास का
अर्थ है पैरों में रहने वाली तुच्छ वस्तु। कबीर अपने दोहे में उस घास तक की निंदा
करने से मना करते हैं जो हमारे पैरों के तले होती है। कबीर के दोहे में ‘घास’ का
विशेष अर्थ है। यहाँ घास दबे-कुचले व्यक्तियों की प्रतीक है। कबीर के दोहे का
संदेश यही है कि व्यक्ति या प्राणी चाहे वह जितना भी छोटा हो उसे तुच्छ समझकर उसकी
निंदा नहीं करनी चाहिए। हमें सबका सम्मान करना चाहिए।
Question 4:
मनुष्य
के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेनेवाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस
दोहे से व्यक्त होता है?
Solution:
”जग में
बैरी कोइ नहीं, जो मन
सीतल होय।
या आपा
को डारि दे,
दया
करै सब कोय।।
Question 5:
“या आपा
को डारि दे,
दया
करै सब कोय।”
“ऐसी
बानी बोलिए मन का आपा खोय।”
इन
दोनों पंक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने या खो देने की बात की गई है। ‘आपा’ किस
अर्थ में प्रयुक्त हुआ है? क्या
‘आपा’ स्वार्थ के निकट का अर्थ देता है या घमंड का?
Solution:
“या आपा
को . . . . . . . . . आपा खोय।” इन दो पंक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने की बात की
गई है। यहाँ ‘आपा’ अंहकार के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। ‘आपा’ घमंड का अर्थ देता
है।
Question
6:
आपके
विचार में आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में क्या कोई अंतर हो सकता है? स्पष्ट करें।
Solution:
आपा और
आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में अंतर हो सकता है –
1. आपा और
आत्मविश्वास – आपा का अर्थ है अहंकार जबकि आत्मविश्वास का अर्थ है अपने ऊपर
विश्वास।
2. आपा और
उत्साह – आपा का अर्थ है अहंकार जबकि उत्साह का अर्थ है किसी काम को करने का जोश।
Question
7:
सभी
मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एकसमान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी
मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त
पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।
Solution:
”आवत
गारी एक है,
उलटत
होइ अनेक।
कह
कबीर नहिं उलटिए, वही एक
की एक।।”
मनुष्य
के एक समान होने के लिए सबकी सोच का एक समान होना आवश्यक है।
Question
8:
कबीर
के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है?
Solution:
कबीर
के दोहों को साखी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें श्रोता को गवाह बनाकर साक्षात्
ज्ञान दिया गया है। कबीर समाज में फैली कुरीतियों, जातीय भावनाओं, और बाह्य आडंबरों को इस ज्ञान
द्वारा समाप्त करना चाहते थे।
भाषा की बात
Question
1:
बोलचाल
की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है जैसे वाणी
शब्द बानी बन जाता है। मन से मनवा, मनुवा आदि हो जाता है। उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी
बदल जाती है। नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं उनका वह रूप लिखिए जिससे आपका परिचय हो।
ग्यान, जीभि, पाऊँ, तलि, आंखि, बरी।
Solution:
ग्यान
– ज्ञान
जीभि –
जीभ
पाऊँ –
पाँव
तलि –
तले
आँखि –
आँख
बरी –
बड़ी