पाठ 3 हिमालय की बेटियां
Question 1:
नदियों को माँ मानने की
परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में
देखते हैं ?
लेखक नदियों को माँ मानने
की परपंरा से पहले इन नदियों को स्त्री के सभी रूपों में देखता है जिसमें वो उसे
बेटी के समान प्रतीत होती है। इसलिए तो लेखक नदियों को हिमालय की बेटी कहता है।
कभी वह इन्हें प्रेयसी की भांति प्रेममयी कहता है, जिस तरह से एक प्रेयसी अपने प्रियतम से मिलने के लिए आतुर
है उसी तरह ये नदियाँ सागर से मिलने को आतुर होती हैं, तो कभी लेखक को उसमें ममता के स्वरूप में बहन के समान
प्रतीत होती है जिसके सम्मान में वो हमेशा हाथ जोड़े शीश झुकाए खड़ा रहता है।
सिंधु और ब्रह्मपुत्र की
क्या विशेषताएँ बताई गई हैं ?
इनकी विशेषताएँ इस प्रकार
है:-
Question 3:
काका कालेलकर ने नदियों
को लोकमाता क्यों कहा है ?
नदियों को लोकमाता कहने
के पीछे काका कालेलकर का नदियों के प्रति सम्मान है। क्योंकि ये नदियाँ हमारा
आरम्भिक काल से ही माँ की भांति भरण-पोषण करती आ रही है। ये हमें पीने के लिए पानी
देती है तो दूसरी तरफ इसके द्वारा लाई गई ऊपजाऊ मिट्टी खेती के लिए बहुत उपयोगी
होती है। ये मछली पालन में भी बहुत उपयोगी है अर्थात् ये नदियाँ सदियों से हमारी
जीविका का साधन रही है। हिन्दू धर्म में तो ये नदियाँ पौराणिक आधार पर भी विशेष
पूजनीय है। हिन्दु धर्म में तो जीवन की अन्तिम यात्रा भी इन्हीं से मिलकर समाप्त
हो जाती है। इसलिए ये हमारे लिए माता के समान है जो सबका कल्याण ही करती है।
हिमालय की यात्रा में
लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है ?
लेखक ने हिमालय यात्रा
में निम्नलिखित की प्रशंसा की है –
Question 2:
निर्जीव वस्तुओं को
मानव-संबंधी नाम देने से निर्जीव वस्तुएँ भी मानो जीवित हो उठती हैं। लेखक ने इस
पाठ में कई स्थानों पर ऐसे प्रयोग किए हैं, जैसे-
(i) संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।
(ii) जितना की इन बेटियों की बाल लीला देखकर।
(iii) बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे
खेल करती हैं।
(iv) हिमालय को ससुर और समुद्र को दामाद कहने में
कुछ भी झिझक नहीं होती है।
Question 4:
द्वंद्व समास के दोनों पद
प्रधान होते हैं। इस समास में ‘और’ शब्द का लोप हो जाता है, जैसे- राजा-रानी द्वंद्व समास है जिसका अर्थ है राजा और
रानी। पाठ में कई स्थानों पर द्वंद्व समासों का प्रयोग किया गया है। इन्हें खोजकर
वर्णमाला क्रम (शब्दकोश-शैली) में लिखिए।
Answer:
द्वन्द्व समास के
उदाहरण:-
माता – पिता
भाई – बहन
सास – ससुर
राम – सीता
पति – पत्नी
Question 5:
नदी को उलटा लिखने से दीन
होता है जिसका अर्थ होता है गरीब। आप भी पाँच ऐसे शब्द लिखिए जिसे उलटा लिखने पर
सार्थक शब्द बन जाए। प्रत्येक शब्द के आगे संज्ञा का नाम भी लिखिए, जैसे-नदी-दीन (भाववाचक संज्ञा)।
Answer:
तप – पत भाववाचक
राज – जरा भाववाचक
नव – वन जातिवाचक
गल – लग भाववाचक
राम – मरा भाववाचक
Question 1:
नदियों को माँ मानने की
परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में
देखते हैं ?
Answer:
लेखक नदियों को माँ मानने
की परपंरा से पहले इन नदियों को स्त्री के सभी रूपों में देखता है जिसमें वो उसे
बेटी के समान प्रतीत होती है। इसलिए तो लेखक नदियों को हिमालय की बेटी कहता है।
कभी वह इन्हें प्रेयसी की भांति प्रेममयी कहता है, जिस तरह से एक प्रेयसी अपने प्रियतम से मिलने के लिए आतुर
है उसी तरह ये नदियाँ सागर से मिलने को आतुर होती हैं, तो कभी लेखक को उसमें ममता के स्वरूप में बहन के समान
प्रतीत होती है जिसके सम्मान में वो हमेशा हाथ जोड़े शीश झुकाए खड़ा रहता है।
Question 2:
सिंधु और ब्रह्मपुत्र की
क्या विशेषताएँ बताई गई हैं ?
Answer:
इनकी विशेषताएँ इस प्रकार
है:-
(i) सिंधु और
ब्रह्मपुत्र ये दोनों ही महानदी हैं।
(ii) इन दोनों
महानदियों में सारी नदियों का संगम होता है।
(iii) ये भौगोलिक व
प्राकृतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण नदियाँ हैं। ये डेल्टाफार्म करने के लिए,
मत्सय पालन, चावल की फसल व जल स्रोत का उत्तम साधन है।
(iv) ये दोनों ही
पौराणिक नदियों के रूप में विशेष पूज्यनीय व महत्वपूर्ण हैं।
Question 3:
काका कालेलकर ने नदियों
को लोकमाता क्यों कहा है ?
Answer:
नदियों को लोकमाता कहने
के पीछे काका कालेलकर का नदियों के प्रति सम्मान है। क्योंकि ये नदियाँ हमारा
आरम्भिक काल से ही माँ की भांति भरण-पोषण करती आ रही है। ये हमें पीने के लिए पानी
देती है तो दूसरी तरफ इसके द्वारा लाई गई ऊपजाऊ मिट्टी खेती के लिए बहुत उपयोगी
होती है। ये मछली पालन में भी बहुत उपयोगी है अर्थात् ये नदियाँ सदियों से हमारी
जीविका का साधन रही है। हिन्दू धर्म में तो ये नदियाँ पौराणिक आधार पर भी विशेष
पूजनीय है। हिन्दु धर्म में तो जीवन की अन्तिम यात्रा भी इन्हीं से मिलकर समाप्त
हो जाती है। इसलिए ये हमारे लिए माता के समान है जो सबका कल्याण ही करती है।
Question 4:
हिमालय की यात्रा में
लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है ?
Answer:
लेखक ने हिमालय यात्रा
में निम्नलिखित की प्रशंसा की है –
(i) हिमालय की अनुपम
छटां की।
(ii) हिमालय से निकले
वाली नदियों की अठखेलियों की।
(iii) उसकी बरफ़ से ढकी
पहाड़ियों की सुदंरता की।
(iv) पेड़-पौधों से भरी
घाटियों की।
(v) देवदार, चीड़, सरो, चिनार, सफैदा, कैल से भरे जंगलों की।
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Question 2:
निर्जीव वस्तुओं को
मानव-संबंधी नाम देने से निर्जीव वस्तुएँ भी मानो जीवित हो उठती हैं। लेखक ने इस
पाठ में कई स्थानों पर ऐसे प्रयोग किए हैं, जैसे-
(क) परंतु इस बार जब मैं
हिमालय के कंधे पर चढ़ा तो वे कुछ और रूप में सामने थीं।
(ख) काका कालेलकर ने
नदियों को लोकमाता कहा है।
• पाठ से इसी तरह
के और उदाहरण ढूँढ़िए।
Answer:
(i) संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।
(ii) जितना की इन बेटियों की बाल लीला देखकर।
(iii) बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे
खेल करती हैं।
(iv) हिमालय को ससुर और समुद्र को दामाद कहने में
कुछ भी झिझक नहीं होती है।
Question 3:
पिछली कक्षा में आप
विशेषण और उसके भेदों से परिचय प्राप्त कर चुके हैं।
नीचे दिए गए विशेषण और
विशेष्य (संज्ञा) का मिलान कीजिए-
Answer:
Question 4:
द्वंद्व समास के दोनों पद
प्रधान होते हैं। इस समास में ‘और’ शब्द का लोप हो जाता है, जैसे- राजा-रानी द्वंद्व समास है जिसका अर्थ है राजा और
रानी। पाठ में कई स्थानों पर द्वंद्व समासों का प्रयोग किया गया है। इन्हें खोजकर
वर्णमाला क्रम (शब्दकोश-शैली) में लिखिए।
Answer:
द्वन्द्व समास के
उदाहरण:-
माता – पिता
भाई – बहन
सास – ससुर
राम – सीता
पति – पत्नी
Question 5:
नदी को उलटा लिखने से दीन
होता है जिसका अर्थ होता है गरीब। आप भी पाँच ऐसे शब्द लिखिए जिसे उलटा लिखने पर
सार्थक शब्द बन जाए। प्रत्येक शब्द के आगे संज्ञा का नाम भी लिखिए, जैसे-नदी-दीन (भाववाचक संज्ञा)।
Answer:
तप – पत भाववाचक
राज – जरा भाववाचक
नव – वन जातिवाचक
गल – लग भाववाचक
राम – मरा भाववाचक