13 जहाँ पहिया है
जहाँ पहिया है पाठ के अभ्यास के प्रश्न
प्रश्न 1. “…उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं….” आपके विचार से लेखक ‘जंजीरों’ द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?
उत्तर- (1) लेखक
‘जंजीरों’ द्वारा अनपढ़ता, अंधविश्वास, जातिगत भेदभाव, पिछड़ापन आदि समस्याओं की ओर संकेत
कर रहा है। अनपढ़ता व अशिक्षा के कारण लोगों के मन में संकीर्ण भावनाएँ समा गई
हैं। इसलिए पुरुष नारियों को आगे बढ़ते हुए नहीं देख सकते और न ही किसी प्रकार का
सामाजिक परिवर्तन करना चाहते हैं। पुरुष-प्रधान समाज में नारी को हीन-भाव से देखा
जाता है। उसे समाज का अभिन्न अंग समझने की अपेक्षा मात्र वस्तु समझा जाता है।
उन्हें नारी और पशु में कोई भेद दिखाई नहीं देता।
2. क्या आप लेखक की इस बात से
सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए। –
उत्तर- (2)
लेखक का यह मत कि समाज विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जकड़ा हुआ है।
लोग समस्याओं रूपी जंजीरों को तोड़ने का कोई-न-कोई तरीका निकाल ही लेते हैं और
स्वतंत्र जीवन जीने में विश्वास रखते हैं। लेखक के इस विचार से हम पूर्णतः सहमत
हैं। कोई भी व्यक्ति अधिक समय तक चुपचाप यातनाएँ सहन नहीं कर सकता। वह कभी-न-कभी
मुकाबला करने के लिए तैयार हो जाता है। अपने आस-पास के बंधन रूपी जंजीरों को
तोड़कर वह नवीन एवं स्वतंत्र जीवन की प्राप्ति का मार्ग खोज लेता है। पुडुकोट्टई
ज़िले की महिलाओं ने साइकिल जैसे साधारण-से साधन को अपनाकर अपने जीवन को प्रगतिशील
बनाया है। साइकिल चलाना सीखकर वे अपने सभी कार्य समय पर कर लेती हैं। समाज उनके
विषय में क्या सोचता है, इस बात की उन्हें तनिक भी परवाह
नहीं है।
पहिया
प्रश्न 1. ‘साइकिल आंदोलन’ से पुकोट्टई की महिलाओं
के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?
उत्तर- ‘साइकिल
आंदोलन’ से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में निम्नलिखित बदलाव आए हैं
स्त्रियों में आत्मसम्मान की भावना जागृत हुई है। वे रूढ़िवादी
पुरुषों द्वारा थोपे गए प्रतिदिन के संकीर्ण दायरे से बाहर निकलीं और पूरे विश्वास
एवं दृढ़-निश्चय से काम करने लगीं। उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्राप्त हुआ
है। अब वे बस की प्रतीक्षा में समय न गँवाकर साइकिल चलाकर ठीक समय पर अपने सभी
कार्य कर सकती हैं। अब उन्हें कहीं भी जाने के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना
पड़ता। साइकिल आंदोलन से महिलाओं की आय में भी वृद्धि हुई, जिससे
उनकी आर्थिक दशा में सुधार हुआ है। अब वे आस-पास के गाँवों में वस्तुएँ बेचने के
लिए जा सकती हैं। समय की बचत होने के कारण वे अपना सामान बेचने पर अधिक ध्यान
केंद्रित कर सकती हैं तथा पहले की अपेक्षा आराम भी अधिक कर सकती हैं। साइकिल
आंदोलन के कारण वे अपना समय घरेलू कार्यों एवं बच्चों की देखभाल में भी लगा सकती
हैं। इन सबसे बढ़कर महिलाएँ साइकिल को अपनी आज़ादी का प्रतीक मानती हैं।
प्रश्न 2. शुरुआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध
किया, परंतु आर. साइकिल्स के मालिक ने इसका समर्थन किया,
क्यों?
उत्तर- जब
पुडुकोट्टई की महिलाओं ने साइकिल चलाना सीखना आरंभ किया तो शुरुआत में पुरुषों ने
इसका जमकर विरोध किया,
क्योंकि उन्हें भय था कि पुरुष-प्रधान समाज में नारियों में जागृति
आ जाने से उनका महत्त्व कम हो जाएगा। उन पर तरह-तरह के व्यंग्य किए गए, किंतु वहाँ की महिलाओं ने उनकी परवाह न करके साइकिल चलाना सीखना जारी रखा।
समय बीतने पर महिलाओं को साइकिल चलाने की सामाजिक स्वीकृति प्राप्त हो गई।
– एक साइकिल विक्रेता आर. साइकिल्स के मालिक ने महिला साइकिल आंदोलन
का समर्थन किया क्योंकि उसकी दुकान पर महिला साइकिल की बिक्री में काफी वृद्धि हुई
थी। जिन महिलाओं को लेडीज़ साइकिल नहीं मिली, उन्होंने
जेंट्स साइकिलें ही खरीद ली थीं। दुकानदार के इस कथन से पता चलता है कि महिला
साइकिल चालकों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी।
प्रश्न 3. प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में
कौन-कौन-सी बाधा आई?
उत्तर- प्रारंभ
में इस आंदोलन को चलाने में पुरुष वर्ग ही सबसे बड़ी बाधा बन गया था। साइकिल चलाने
वाली महिलाओं पर पुरुष बुरी-बुरी टिप्पणियाँ कसते थे, किंतु महिलाओं ने इनकी परवाह
नहीं की और अपना आंदोलन जारी रखा। एक दिन ऐसा आया कि पुरुषों को महिलाओं के साइकिल
आंदोलन का समर्थन करना पड़ा।
शीर्षक की बात
प्रश्न 1. आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम
‘जहाँ पहिया है’ क्यों रखा होगा?
उत्तर- इस
पाठ का शीर्षक ‘जहाँ पहिया है’ पूर्णतः उचित है क्योंकि पहिए को गतिशीलता का
प्रतीक माना जाता है। यदि पहिया अपने अस्तित्व में न आता तो आज मानव उन्नति के जिस
शिखर पर पहुँच गया है,
उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। जब पुडुकोट्टई में महिलाओं ने
साइकिल आंदोलन चलाया तो वहाँ की महिलाओं का जीवन गतिशील बन गया। वे पुरानी
परंपराओं और रूढ़ियों को तोड़कर जीवन के नवीन एवं प्रगतिशील मार्ग पर चल पड़ीं।
इसलिए यह शीर्षक ‘जहाँ पहिया है’ उचित है।
प्रश्न 2. अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक
सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर- इस
पाठ का अन्य शीर्षक ‘बदले हुए दिन’ भी हो सकता है क्योंकि साइकिल आंदोलन से
पुडुकोट्टई जिले की महिलाओं के दिन बदल गए थे। उनके जीवन में जागृति उत्पन्न हो गई
थी। बंधनों में जकड़कर जीवन व्यतीत करने वाली महिलाएँ अब स्वतंत्र जीवन बिताने लगी
थीं। अब उनके जीवन की बहुत-सी समस्याओं का समाधान हो गया था। उनमें अनोखा
आत्मविश्वास और आत्मसम्मान जागृत हो गया था। इसलिए इस पाठ का शीर्षक ‘बदले हुए
दिन’ भी उचित होगा।
समझने की बात
प्रश्न 1. “लोगों के लिए यह समझना बड़ा कठिन है कि
ग्रामीण औरतों के लिए यह कितनी बड़ी चीज़ है। उनके लिए तो यह हवाई जहाज़ उड़ाने
जैसी बड़ी उपलब्धि है।” साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए इतना महत्त्वपूर्ण
क्यों है? समूह बनाकर चर्चा कीजिए।
उत्तर- साइकिल
चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए महत्त्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि इससे इनके जीवन में
अत्यधिक परिवर्तन आया है। अब ये महिलाएँ आत्मनिर्भर बन गई हैं। इन्हें अपने कार्य
करने के लिए दूसरों का मुँह नहीं ताकना पड़ता। अब वे साइकिल चलाकर अपनी वस्तुओं को
अधिक स्थानों पर और थोड़े समय में बेच सकती हैं। उन्हें किसी बस का इंतज़ार भी
नहीं करना पड़ता। वे अपने बचे हुए समय में आराम करती हैं और अपने परिवार की देखभाल
करती हैं। इसलिए ग्रामीण महिलाओं के लिए साइकिल चलाना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
नोट-विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से समूह बनाकर
चर्चा करें।
“पुडुकोट्टई पहुँचने से पहले मैंने इस विनम्र सवारी के बारे में इस
तरह सोचा ही नहीं था।”
प्रश्न 2. साइकिल को विनम्र सवारी क्यों कहा गया है?
उत्तर- लेखक
ने साइकिल को विनम्र सवारी इसलिए कहा है क्योंकि साइकिल सवारी का सस्ता और टिकाऊ साधन
है। इसकी मुरम्मत में भी अधिक धन खर्च नहीं होता। इसके अतिरिक्त इसमें पेट्रोल या
डीज़ल आदि का भी प्रयोग नहीं होता। इसकी गति भी अधिक तीव्र नहीं है। इसलिए
दुर्घटना का खतरा भी कम है। इसे बच्चा, बूढ़ा, जवान, स्त्री, पुरुष, कोई भी चला
सकता है। साइकिल चलाना अपने आप में एक व्यायाम भी है। इसके चलाने से व्यक्ति चुस्त
एवं स्वस्थ रहता है। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही लेखक ने साइकिल को विनम्र
सवारी कहा होगा।
साइकिल
प्रश्न 1. फातिमा ने कहा,…”मैं
किराए पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आज़ादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूँ।” साइकिल
चलाने से फातिमा और पुड्कोट्टई की महिलाओं को ‘आजादी’ का अनुभव क्यों होता होगा?
।
उत्तर- साइकिल
चलाने से पुडुकोट्टई की महिलाओं को आज़ादी का अनुभव अवश्य होता होगा क्योंकि अब वे
किसी पर आश्रित न रहकर अपने सभी कार्य स्वयं करती हैं। वे अपने सामान को एक स्थान
से दूसरे स्थान पर बड़ी आसानी से ले जा सकती हैं। वे निडरतापूर्वक घूम-फिर भी सकती
हैं। उन्हें अब किसी प्रकार के बंधन का अनुभव नहीं होता।
कल्पना से
प्रश्न 1. पुडुकोट्टई में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती
तो वह अपना पार्टी-चिह क्या बनाती और क्यों?
उत्तर- पुडुकोट्टई
में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो वह निश्चित रूप से अपनी पार्टी का चुनाव-चिह्न
साइकिल ही बनाती क्योंकि साइकिल ने ही उनके जीवन में बहुत बड़ी क्रांति उत्पन्न की
है। उनके जीवन में गतिशीलता एवं आत्मनिर्भरता उत्पन्न हुई है। साइकिल के कारण ही
वे आज़ादी अनुभव करती हैं।
प्रश्न 2. अगर दुनिया के सभी पहिए हड़ताल कर दें तो
क्या होगा?
उत्तर- अगर
दुनिया के सभी पहिए हड़ताल कर दें तो जीवन की गतिशीलता थम जाएगी। पहिए से ही जीवन
का हर काम संभव है। पहिए से यातायात और उद्योग-धंधे चलते हैं। छोटे-बड़े वाहनों और
उद्योगों के बंद होने से मानव विकास की गति बाधित हो जाएगी। इस प्रकार यदि दुनिया
के सभी पहियों द्वारा हड़ताल होती है तो यह दुनिया के लिए हानिकारक सिद्ध होगा।
प्रश्न 3. “1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के
बाद अब यह ज़िला कभी भी पहले जैसा नहीं हो सकता।” इस कथन का अभिप्राय स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर- उपर्युक्त
कथन से अभिप्राय है कि महिला दिवस के बाद महिलाओं में जागृति आ चुकी है। उन्होंने
अंधविश्वासों एवं रूढ़िवादिता के बंधनों को तोड़कर स्वच्छंद जीवन जीना आरंभ कर
दिया है। वे आत्मसम्मान व आत्मविश्वास की भावनाओं को अनुभव करने लगी हैं इसलिए
उन्होंने साइकिल चलाने का तरीका अपनाया। साइकिल चलाने से उनके जीवन में
आत्मनिर्भरता और गतिशीलता का विकास हुआ। अब वे पहले जैसा बंधनों में जकड़ा हुआ
जीवन पसंद नहीं करतीं। निरंतर आगे बढ़ना ही अब उनके जीवन का उद्देश्य हो गया है।
प्रश्न 4. मान लीजिए आप एक संवाददाता हैं। आपको 8
मार्च, 1992 के दिन पुडुकोट्टई में हुई घटना
का समाचार तैयार करना है। पाठ में दी गई सूचनाओं और अपनी कल्पना के आधार पर एक
समाचार तैयार कीजिए।
उत्तर- दिनांक
8 मार्च,
1992 को तमिलनाडु के जिला पुड्कोट्टई में महिलाओं द्वारा अंतर्राष्ट्रीय
महिला दिवस बड़ी धूम-धाम से मनाया गया। इस अवसर पर महिलाओं ने स्वतंत्र रूप से
साइकिल चलाकर यह सिद्ध कर दिया कि अब वे आज़ाद हैं। अब उन्हें समाज के किसी भी
बंधन की परवाह नहीं है। उनमें साइकिल सीखने-सिखाने की प्रबल इच्छा दिखाई दे रही
थी। वे साइकिल चलाते हुए साइकिल का गीत भी गा रही थीं। उनके साइकिलों की बजती हुई
घंटियाँ उनकी प्रसन्नता और दृढ़-विश्वास को दर्शा रही थीं। साइकिलों पर सवार 1500
महिलाओं ने अपने जोश और उत्साह के प्रदर्शन से सभी को आश्चर्यचकित
कर दिया। इन महिलाओं ने जिले में एक क्रांतिकारी तूफान मचा दिया।
प्रश्न 5. अगले पृष्ठ पर दी गयी ‘पिता के बाद’ कविता
पढ़िए। क्या कविता में और फातिमा की बात में कोई संबंध हो सकता है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर- इस
पाठ में फातिमा के विचार साइकिल चलाने वाली महिलाओं के आत्मसम्मान एवं आर्थिक
संपन्नता को व्यक्त करने वाले हैं। साथ ही आज़ादी एवं खुशहाली का संकेत भी देते
हैं। ‘पिता के बाद’ शीर्षक कविता में बताया गया है कि सुख हो या दुख लड़कियाँ हर
स्थिति में खुश रहना जानती हैं। पिता के कंधों का बोझ अपने कंधों पर उठा सकती हैं
और पिता की मृत्यु के पश्चात् उसकी ज़िम्मेदारियों को भी निभा सकती हैं। वे
निराशामय मार्ग में भी मुस्काना जानती हैं।
जहाँ पहिया है पाठ के बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. “जहाँ पहिया है” नामक पाठ
के लेखक हैं…
(A) इस्मत
चुगताई
(B) अन्नपूर्णानंद वर्मा
(C) पी. साईनाथ
(D) रामचंद्र तिवारी
उत्तर- पी. साईनाथ
2. ‘जहाँ पहिया है’ पाठ में
किस प्रदेश के जिले की महिलाओं का वर्णन किया गया है?
(A) हरियाणा
की
(B) पंजाब की
(C) केरल की
(D) तमिलनाडु की
उत्तर- तमिलनाडु की
3. पुडुकोट्टई. भारत के कैसे
जिलों में से एक है?
(A) अमीर
(B) विकसित
(C) गरीब
(D) विकासशील
उत्तर- गरीब
4. लेखक ने साइकिल चलाने को
कैसे आंदोलन का नाम दिया है?
(A) धार्मिक
(B) सामाजिक
(C) राजनीतिक
(D) आर्थिक
उत्तर- सामाजिक
5. पुकोट्टई ज़िले की कैसी
महिलाओं के लिए साइकिल चलाना आम बात है?
(A) नव-विवाहित
(B) नवसाक्षर
(C) नौकरी करने वाली
(D) घर में रहने वाली
उत्तर- नवसाक्षर
6. पुडुकोट्टई की औरतों ने
अपनी आज़ादी और गतिशीलता का प्रतीक किसे चुना है?
(A) रेल को
(B) बस को
(C) साइकिल को . .
(D) मोटरसाइकिल को
उत्तर- साइकिल को
7. पुड्कोट्टई जिले की कितनी
औरतों ने प्रदर्शन में भाग लिया था?
(A) सत्तर
हज़ार से अधिक
(B) पैंसठ हज़ार
(C) पचास हज़ार
(D) चालीस हज़ार
उत्तर- सत्तर हज़ार से अधिक
8. प्रशिक्षण शिविरों में
महिलाएँ क्या करती हैं?
(A) चरखा
कातती हैं
(B) साइकिल चलाना सीखती हैं .
(C) नृत्य करना सीखती हैं।
(D) भोजन बनाती हैं
उत्तर- साइकिल चलाना सीखती हैं
9. “अब हमें बस का इंतज़ार
नहीं करना पड़ता” ये शब्द किसने कहे हैं?
(A) फातिमा
ने
(B) अवकन्नी ने
(C) जमीला ने
(D) मनोरमनी ने
उत्तर- जमीला ने
10. फातिमा क्या काम करती है?
(A) अध्यापन
(B) वकालत
(C) मजदूरी
(D) नृत्य सिखाना .
उत्तर- अध्यापन
11. किलाकुरुचि गाँव में
साइकिल सीखनेवाली महिलाएँ किस दिन इकट्ठी होती हैं?
(A) सोमवार
को
(B) मंगलवार को
(C) बुधवार को
(D) रविवार को
उत्तर- रविवार को
12. साइकिल ने महिलाओं को कैसी
चर्चा से बाहर निकलने का मार्ग दिया?
(A) घिसी-पिटी
(B) उत्साही
(C) निराशाजनक
(D) रूढ़िवादी
उत्तर- घिसी-पिटी
13. लेखक के अनुसार पहिया
किसका प्रतीक है?
(A) अमीरी
का
(B) गरीबी का
(C) गतिशीलता का
(D) समय का
उत्तर- समय का
14. पुडुकोट्टई जिले में
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया गया था?
(A) सन् 1962
में
(B) सन् 1972 में
(C) सन् 1992 में
(D) सन् 2002 में
उत्तर- सन् 1992 में
15. सन 1992 में पुडुकोट्टई जिले की कितनी महिलाओं ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस में
भाग लिया था? ‘
(A) 1500
(B) 1400
(C) 1300
(D) 1000
उत्तर-1500